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राज्य को हर्बल प्रदेश बनाने की कवायद शुरू

छोटे किसानों की आय बढाने पर जोर

गोपेश्वर(चमोली)। जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान, मुख्यालय मण्डल में संस्थान निदेशक, डॉ. ललित नारायण मिश्र द्वारा संस्थान के वैज्ञानिकों एवं विकासखण्ड स्तर पर तैनात जड़ी-बूटी सर्वेक्षक सहायक/मास्टर टेनर की समीक्षा बैठक ली। बैठक में विकास खण्ड स्तर वर्तमान वित्तीय वर्ष में किये गये जड़ी-बूटी से सम्बन्धित विकास कार्याें एवं आगामी वित्तीय वर्ष में किए जाने वाले कार्याें पर प्रस्तुतीकरण किया गया। निदेशक द्वारा जड़ी-बूटी क्षेत्र से सम्बन्धित समस्त विकास कार्याें को तीब्र गति से आगे बढ़ाने के निर्देश दिये गये तथा कृषिकरण को बाजार से जोड़ें जाने हेतु निर्देशित किया गया। मैदानी क्षेत्रों के जनपदों जैसे, हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर, में भी औषधीय पादपों के विकास को गति प्रदान की जानी चाहिए ताकि वहां स्थित बड़ी कम्पनियों को कृषिकरण के माध्यम से कच्चे माल की आपूर्ति की जा सके तथा निदेशक द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि शासन द्वारा निर्धारित नीतियों के तहद अधिक से अधिक कृषकों को लाभान्वित किया जाना अतिआवश्यक है एवं जिस क्षेत्र में जिस प्रजाति की अत्यधिक सम्भावनायें हैं कृषिककरण के तहद उन्हीं प्रजातियों के कृषिकरण पर जोर दिया जाय औषधीय पदपों के कृषकों को उचित लाभ मिले के लिए कटाई पश्चात तकनीक, गुणवत्ता नियंत्रण, मूल्य वृद्धि हेतु कृषक समूहों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाने हेतु प्रस्ताव मांगे गये। जड़ी-बूटी प्रगतिशील किसानों को विशेषज्ञ के रूप में प्रोत्साहित कर प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षक के रूप में आमंत्रित किया जाय। उनके द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि प्रत्येक जनपद में न्यूट्राश्यूटिकल पौधों को न्यूट्रीगार्डन में रोपित किया जाय तथा महिलाओं के स्वयंसहायता समूहों को विभिन्न औषधीय उत्पाद तैयार करने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जाय ताकि महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। उन्होने अनुसंधान एवं विकास कार्यों हेतु विषय निर्धारित करने हेतु पृथक से चर्चा किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने प्रदेश को हर्बल प्रदेश के रूप में विकसित किये जाने हेतु जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के समस्त फील्ड स्टाफ से अपना-अपना अमूल्य योगदान दिये जाने हेतु निर्देशित किया तथा जड़ी-बूटी का क्षेत्र बढाये जाने, किसानों की आय दुगनी किये जाने, नर्सरी बढाये जाने, प्रशिक्षण अधिक से अधिक करवााये जाने, बन्दरो एवं सुवरों से फसलों को कम नुकसान पहुॅचाने बावत एवं विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए योजनाओं से युगपितीकरण/अभिसरण (कनवरजेन्श) पर जोर दिये जाने के निर्देश दिये गये हैं उपरोक्त बैठक में संस्थान के समस्त वैज्ञानिक एवं सर्वेक्षक सहायक/मास्टर ट्रेनर उपस्थित थे।

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