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प्राकृतिक जल स्रोतों को सांस्कृति परंपरा से जोड़ने की मुहिम

देवाल(चमोली)। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण मे हरेला बायोडाईवर्सिटी नौला फाउंडेशन के की ओर से मंगलवार को चमोली जिले के देवाल विकास खंड के मुंदोली में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें प्राकृतिक जल स्रोतों को सांस्कृतिक परंपरा से जोड़ने की मुहिम शुरू की गई। इस मौके पर विद्यालय के छात्रों के मध्य चित्रकला और निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

कार्यक्र में हरेला बायोडाइवर्सिटी नौला फाउंडेशन के  सदस्य पर्यावरण मित्र बलवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रकृति को संजोए रखने के लिए देवभूमि उत्तराखंड के परंपरा  सांस्कृति से जुड़े नदियां, नौले, धारे को बचाना हमारा लक्ष्य है जिस प्रकार उत्तराखंड की परंपरा अपना दम तोड़ती नजर आ रही है। इसलिए आवश्यकता हे कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए आगे आयें। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखंड में नौला धारा का पानी पिया जाता था परंतु वर्तमान इनमें से अधिकांश सूख चुके हैं। जिसके साथ एक परंपरा भी खत्म होती जा रही है।  प्राचीन समय में हिमालयी गांव बसने की प्रक्रिया में आवासीय भवन इन्हीं जल स्रोतों के पास विकसित हुए। ये प्राकृतिक जल स्रोत नौला, धारा, मुगयारा के नाम से जाने जाते थे। एक अनुमान के आधार पर समूचे भारतीय हिमालय क्षेत्र  के साठ हजार गांव में लगभग पांच लाख जल स्रोत हैं। इन नौले-धारों का अपना सांस्कृतिक महत्व भी है। उत्तराखंड में विवाह और अन्य अवसरों पर  नौले-धाराओं में जल पूजन की परंपरा दिखाई देती है। जो मानव जीवन में जल के महत्व को इंगित करता है। पूर्व में गांव के नौले धारा की जीर्णीद्धार साफ, सफाई की जिम्मेदारी गांव की सामूहिक सहभागिता और  श्रमदान के माध्यम से होता था किंतु आज बढ़ते पलायन सरकारी पाइप लाइन, पर्यावरण असंतुलन, प्रत्यक्ष जनभागीदारी, हैंडपंप, नलकूपों के जरिये पेयजल आपूर्ति से पारम्परागत जल संचयन प्रणाली और प्राकृतिक जल स्रोत उपेक्षित और बदहाल स्थिति में पहुंच गए हैं।  जल संचयन रीति को पुर्नर्जीवित करने के लिए सरकारी स्तर पर उचित नीति के साथ समाज के विकास को केंद्र में रखकर जल संरक्षण की दीर्घकालिक योजनाओं का क्रियान्वयन हो गांव समाज की पहल पर चैड़ी पत्ती के पौधों का रोपण हो। चाल-खाल का निर्माण को प्राथमिकता दी जाय ताकि पर्यावरण विकास के साथ जल संचय की पुरातन परम्परा समृद्ध की ओर बढ़ सके। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य संजय कुमार, बलवंत सिंह, पूरन सिंह, विक्रम सिंह, खड़क राम, योगेश पांडे, महेंद्र आर्य, बच्ची राम, विनोद सहगल, हेमलता, अनुराधा, दीपक कोहली, सोनम आदि ने अपने विचार  व्यक्त किये। इस मौके पर विद्यालय परिसर में बोटलब्रुश और मोरपंखी के पौधों का भी रोपण किया गया।

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