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सड़क निर्माण में हो रहे विस्फोट से जोशीमठ के अस्तित्व को खतरा, कार्रवाई की मांग

कार्रवाई न होने पर दी जनांदोलन की चेतावनी

गोपेश्वर (चमोली)। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने बाईपास सड़क निर्माण में हो रहे विस्फोट से जोशीमठ के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के बादल को लेकर शुक्रवार को उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजकर इस पर तत्काल कार्रवाई किये जाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो क्षेत्र की जनता को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।

जोशीमठ संघर्ष समिति के अतुल सती, कमल रतूड़ी, प्रकाश नेगी, सूरज कपरूवाण का कहना है कि जोशीमठ  उत्तराखण्ड में भारत चीन सीमा पर बसा अंतिम नगर है। इस नगर का ऐतिहासिक महत्व है। कत्यूरी राजवंश की राजधानी होने से इसका उत्तराखण्ड के इतिहास में खास महत्व है। शंकराचार्य के यहां आने ज्ञान पाने और प्रथम मठ स्थापना के बाद इस नगर का धार्मिक सांस्कृतिक महत्व पिछले 13 सौ सालों में लगातार बढ़ा ही है। पिछले 30 चालीस सालों में इस नगर का पर्यटन  महत्व भारत की सबसे लंबे रोपवे बनने और औली के स्कीइंग केंद्र बनने से बढ़ता गया है। पिछले एक दशक में इसके महत्व बढ़ने से इस नगर की आबादी में भी बहुत वृद्धि हुई है। लेकिन कुछ समय से  यह क्षेत्र भूस्खलन की चपेट में आ गया है। भू गर्भ शास्त्रियों के अनुसार यह मोरेन पर बसा है। उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से गठित 1976 की मिश्रा कमेटी ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट देते हुए इस नगर को बचाए रखने के लिए यहां भारी निर्माण पर रोक लगाने की सिफारिश की थी। उस पर अमल न होने से आज क्षेत्र की भार ग्रहण क्षमता से बहुत अधिक आबादी और निर्माण का यहां संकेन्द्रण हुआ है ।

उनका कहना है कि नवम्बर 2021 के बाद से नगर के बहुत से घर मकानों पर दरारें आनी शुरू हुई। बहुत सी सड़कें धंसाव के चलते बैठ गईं, और टेढ़ी हो गईं। बहुत से क्षेत्र में भू स्खलन बढ़ गया। जिससे लोगों में चिंता बढ़ गयी। स्वतंत्र वेैज्ञानिकों की टीम ने और उसके बाद राज्य सरकार की ओर से गठित विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम ने क्षेत्र का सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट दी है। जिनमें नगर की स्थिति अत्यंत संवेदनशील बताई गयी है। यहां किसी भी तरह के भारी निर्माण से नगर का अस्तित्व ही समाप्त हो सकता है। सभी रिपोर्ट सरकार के पास हैं सार्वजनिक हैं। ऐसे में जब कि नगर के अस्तित्व पर ही सवाल है तब नगर के ठीक नीचे नगर की जड़ में चट्टानों को तोड़ कर बाईपास बनाने से नगर  को और खतरे में डालना है। जबकि नगर में वैकल्पिक मार्ग की पर्याप्त उपलब्धता है। सम्पूर्ण जोशीमठ नगर की जनता भूस्खलन के कारण घरों में आई दरारों से पहले ही चिंतित है। उसपर बाईपास निर्माण में हो रहे भारी विस्फोटों से नगर के अस्तित्व पर ही संकट पैदा हो गया है। जिसके निशान भी दिखने लगे हैं। इससे जोशीमठ की जनता में तीव्र आक्रोश है। एनटीपीसी की सुरंग में पिछले 12 साल से लगातार हो रहे जल रिसाव ने भी इस संकट को बढ़ाने में भूमिका निभाई है। उन्होंने सरकार से मामले में उचित कार्रवाई करते हुए समाधान की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में अतुल सती, कमल रतूड़ी, प्रकाश नेगी, सूरज कपरूवाण, जय उनियाल, कमलेश नौटियाल, अनिल रतूडी, चंद्रमोहन, जेपी भट्ट आदि शामिल थे।

संघर्ष समिति ने की सरकार से मांग

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार से मांग की है कि  हेलंग मारवाड़ी बाईपास के कार्य को तुरन्त रोका जाय। वहां किये जा रहे अवैध विस्फोटों के लिये कार्यदायी संस्था पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाय।

एनटीपीसी को पूर्व में किये समझौते के पालन के लिए सरकार निर्देशित करे, जिसके तहत जोशीमठ के समस्त घर मकानों का बीमा किया जाना था । साथ ही एनटीपीसी की सुरंग  को इस भूस्खलन के एक कारक के तौर जिम्मेदार मानते हुए जोशीमठ के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए निर्देशित किया जाए ।

भूस्खलन के कारण बेघर हो रहे लोगों के तुरन्त विस्थापन पुनर्वास की व्यवस्था की जाय। जिनके घरों की क्षति हुई है उनकी क्षति पूर्ति वर्तमान बाजार दर पर की जाए।

उत्तराखण्ड सरकार की वर्तमान विस्थापन एवं पुनर्वास नीति में संशोधन किया जाए। वर्तमान में विस्थापन नीति के बजाय लोगो को केदारनाथ आपदा के समय किये गये  क्षतिपूर्ती प्रावधानों के आधार पर मुआवजा दिया जाए।

सम्पूर्ण जोशीमठ के घर मकानों के यथाशीघ्र सर्वेक्षण किया जाय।

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