जोशीमठ (चमोली)। जिले के जोशीमठ तहसील मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार हो रहे भूधंसाव को लेकर स्थानीय जन दबाव के चलते सरकार ने एक सर्वेक्षण टीम का गठन किया है जिसका क्षेत्र की जनता ने स्वागत किया है लेकिन सरकार से मांग की है कि इस कमेठी में पर्यावरण विशेषज्ञ, वनस्पति विज्ञानी, ग्लेशियर विज्ञानी के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने एक बयान में कहा कि संघर्ष समिति एक लंबे समय से जोशीमठ के भूगर्भीय सर्वे की मांग करता आ रहा था जब सरकार ने सर्वेक्षण टीम का गठन नहीं किया तो स्थानीय लोगों ने स्वतंत्र वैज्ञानिकों से सर्वक्षण का आग्रह किया गया जिसके बाद वरिष्ठ भू वैज्ञानिक डॉ. नवीन जुयाल, डॉ. एसपी सती, डॉ शुभ्रा शर्मा के साथ क्षेत्र की भूगर्भिक रिपोर्ट तैयार कर सघर्ष समिति को सौंपी जिसको संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को भेजा जिसके बाद सरकार ने अब सर्वेक्षण टीम का गठन किया है। किंतु हमारा कहना है कि यह कमेटी पूरी नहीं है। इस कमेटी में पर्यावरण विशेषज्ञ, वानस्पतिक विशेषज्ञ, ग्लेशियर विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ (हिमजलीय, हिमनदीय अध्ययन से जुड़े विशेषज्ञ) और जन प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए था। स्वतंत्र वैज्ञानिकों की रिपोर्ट की पहली सिफारिश भी यही है कि भविष्य में किसी भी तरह के विकास निर्माण से पूर्व, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल कर क्षेत्र का एकीकृत अध्ययन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से यह मांग और अपेक्षा है कि इस कमेटी में अन्य विशेषज्ञों को शामिल करते हुए कमेटी को इस क्षेत्र के व्यापक सर्वेक्षण के अधिकार दिए जाय। जिससे इस क्षेत्र के भविष्य के मद्देनजर विस्तृत एकीकृत अध्ययन व रिपोर्ट तैयार हो सके। साथ ही कमेटी की सिफारिशों को लागू करने इम्प्लीमेंट निश्चित करने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री जिम्मेदारी लें। तभी हम इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक नगर क्षेत्र को सुरक्षित रख पाएंगे।