जा मेरी गौरा तू, शिव का कैलाशः कैलाश विदाई के साथ ही नंदा की लोकजात सम्पन्न
नंदा को विदा करते समय फफक कर रोने लगी महिलायें
नंदा को अपने साथ लाये समौण भेंट की
गोपेश्वर (चमोली)। आखिरकार बीते एक पखवाडे से चल रही माथ नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा का शनिवार को नंदा को कैलाश विदा करने के साथ समापन हो गया। उच्च हिमालयी बुग्याल में श्रद्धालुओं नें पौराणिक लोकगीतों और जागर गाकर हिमालय की अधिष्टात्री देवी मां नंदा को हिमालय के लिये विदा किया।
नंदा को कैलाश विदा करते हुए समय महिलाओं की आंखे अश्रुओं से छलछला गयी। इस दौरान श्रद्धालुओं नें अपने साथ लाये खाजा-चूडा, बिंदी, चूडी, ककड़ी, मुंगरी भी समौण के रूप में मां नंदा को अर्पित किये। अपने अंतिम पडाव से शनिवार सुबह नंदा सप्तमी के दिन नंदा, राजराजेश्वरी की डोली हिमालयी उच्च बुग्याल बेदनी, बंड की नंदा डोली नरेला बुग्याल, कुरूड दशोली की नंदा डोली बालपाटा पहुंची और यहां पर पूजा अर्चना कर, तर्पण करके मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया।
वेदनी में रूपकुंड महोत्सव का रंगारंग समापन
नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा के अवसर पर वेदनी में आयोजित तीन दिवसीय रूपकुंड महोत्सव का भी शानदार समापन हो गया। जिसमें लोकगायक सुन्दर बिष्ट, गंगा सिह लाटू पुजारी, वाण महिला मंगल दल, सुतोल महिला मंगल दल, बलाण महिला मंगल दलो नें शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस अवसर पर रुपकुण्ड समिति के अध्यक्ष जीत सिह दानू, सचिव रुपा देवी, बलवंत सिंह, हीरा सिंह गढवाली, हरिश्चन्द्र सहित अन्य लोग शामिल थे।
बुग्याल बचाने के लिए पोस्टर अभियान
वेदनी बुग्याल में स्थानीय ग्रामीणों नें पोस्टर अभियान के जरिए लोगो को बुग्याल बचाने का संदेश दिया और बुग्याल को स्वच्छ रखने की अपील की। इस अवसर पर गढभूमि एडवेंचर और वन विभाग ने लोगो को हिमालय के प्रति संवेदनशील बने रहने का संदेश दिया। वन विभाग के वन दरोगा गब्बर सिह देवराडी सहित राजस्व विभाग के कर्मचारी भी मौजूद थे।
नरेला बुग्याल में सम्पन्न हुई बंड की नंदा की लोकजात
शनिवार सुबह पंचगंगा से नरेला बुग्याल पहुंची बंड की नंदा डोली जहां पर पूजा अर्चना करके मां नंदा को कैलाश के लिए विदा किया। इस अवसर पर पुजारी अशोक गौड, कमलेश गौड, मोतीराम गौड, शास्त्री विपिन प्रसाद, प्रदीप नेगी, बबीता देवी, सौरभ रावत, अभिषेक नेगी, हिमांशु नेगी, सौरभ गैरोला, यशवंत रावत, बीरेन्द्र कठैत सहित अन्य लोग शामिल थे।
डोली के वापस लौटते ही ठंड की दस्तक
हिमालयी बुग्यालो में नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा सम्पन्न होने के उपरांत देव डोली और छंतोली भी वापस लौट आई है। इसके साथ ही ठंड की दस्तक शुरू हो गयी है। बरसो से ये मान्यता चली आ रही है कि नंदा की लोकजात के सम्पन्न होने के उपरांत हिमालयी बुग्यालों में ठंड शुरू हो जाती है। लोकजात के बाद उच्च हिमालय में गये पालसी, भेड पालक भी निचले स्थानो की ओर लौट आते हैं। नंदा की लोकजात के बाद लोग बुग्यालो की ओर नहीं जाते हैं।