जोशीमठ (चमोली)। जोशीमठ कहें चाहे ज्योतिर्मठ दोनों का तात्पर्य एक ही है। इस दृष्टि से देखें तो आदि शंकराचार्य भगवत्पाद प्रतिष्ठापित ज्योतिर्मठ का परिसर पूरा जोशीमठ ही है और यहां का हर निवासी ज्योतिर्मठ का सदस्य। इसलिए जोशीमठ के हर एक निवासी के लिए हमारे मन में अपनत्व की भावना है और इसीलिए उनके हर सुख और दुःख में परिवारजन की ही तरह हम उनके साथ खड़े हैं।
शंकराचार्य ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हर विपत्ति समय पर टल जाती है इसके लिए धैर्य धारण करने की आवश्यकता है। कितनी ही बड़ी विपत्ति क्यों न हो समय अनुसार उसे टलना ही पड़ता है। घबराने से तो विपत्ति और अधिक प्रभावी हो जाती है। इसलिए समस्त जोशीमठवासी से हमारी अपील है कि वे धैर्यपूर्वक बिना किसी का घबराहट के इस विपत्ति का सामना करें। इसके लिए हम हर वह उपाय अपनाएंगे जिससे विपत्ति कटती हो।
नरसिंह पुराण पारायण और रूद्र-चण्डी महायज्ञ से ह करेंगे देवाराधन
शंकराचार्य ने कहा है कि आपदा-विपदा के समय उसके निवारण के लिए भौतिक उपायों के साथ-साथ देवाराधन करना श्रेयस्कर होता है। ज्योतिर्मठ के इतिहास में भी यह दर्ज है कि जब त्रिमुण्ड्या वीर ने जोशीमठ की जनता को सताया तब यहां के निवासियों ने देवी राजराजेश्वरी की उपासना की और उनकी कृपा से सबकी रक्षा हुई। भगवान् नरसिंह ने परम अत्याचारी, परम समर्थ हिरण्यकशिपु से बालक भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। नृसिंह मन्दिर परिसर ज्योतिर्मठ मठांगण में दोनों विराजमान हैं। मिलकर दोनों की आराधना करेंगे। भगवान् नरसिंह की प्रीति के लिए नरसिंह पुराण का पारायण और श्रीदेवी की प्रीति के लिए संपुटित सहस्त्र चण्डी महायज्ञ किया जाएगा। भगवान् श्रीरूद्र की प्रीति के लिए साथ ही साथ रूद्र महायज्ञ सम्पन्न होगा। हमें विश्वास है कि भगवत्कृपा से जोशीमठ की रक्षा होगी और ना तो जोशीमठ विस्थापित होगा और न ही विनष्ट।
जोशीमठ और तथाकथित विकास में से एक को चुनना होगा
शंकराचार्य ने कहा कि जैसा कठिन समय हम सबके सामने आया है उसमें अब हमें यह निश्चय कर लेना होगा कि हम जोशीमठ को बनाए-बचाए रखना चाहते हैं या फिर उसकी कीमत पर टनल और बाईपास चाहते हैं। यह निर्णय इसलिए कर लेना होगा क्योंकि जो संकेत मिले हैं उससे यह तय हो गया है कि दोनों का सांमजस्य नहीं बन सकेगा।
ब्रह्मलीन शंकराचार्य ने 12 वर्ष पूर्व ही चेताया था
ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर (एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर) जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने वर्ष 2008 में ही गंगा सेवा अभियानम् के माध्यम से अपनी राय देश के सामने रख दी थी जिसमें उन्होंने बड़ी विद्युत परियोजनाओं और हर उस बड़े प्रोजेक्ट को पहाड़ों के लिए विनाशक बताया था जो पहाड़ों को हिला रहे थे। उन्होंने 2010 में एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगाड प्रोजेक्ट के सन्दर्भ में स्पष्ट रूप से कहा था कि ऐसा न हो कि इस प्रोजेक्ट के प्रभाव से जोशीमठ सदा-सदा के लिए नष्ट हो जाए। आज उनकी आशंका शत-प्रतिशत सच साबित हो रही है। हमें स्पष्टता के साथ जोशीमठ की रक्षा के लिए ऐसे प्रोजेक्ट को रोकना ही होगा।
घबराऐं नहीं सब लोग जोशीमठ के साथ हैं
शंकराचार्य ने कहा कि ऐसे वक्त में घबराने की जरूरत नहीं है सरकार, समाज के जागरूक लोग, सभी राजनीतिक दलों के लोग और ज्योतिर्मठ सब आपके साथ हैं और आपके हित का चिन्तन और तदनुसार कार्य कर रहे हैं। आपदा के इस अवसर पर हम सबने अपने सभी मतभेदों को किनारे रखा हुआ है और मिलकर कार्य कर रहे हैं। उपर्युक्त सभी से निवेदनध्अपील करते हैं कि इस समय सब एकजुट हों और जोशीमठ की रक्षा करें।
उच्चतम न्यायालय से हमें है आशा
हमने उच्चतम न्यायालय में आप सभी की ओर से विशेषकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की भावनाओं के अनुरूप मामला दाखिल किया है। हमें आशा है कि न्यायालय समुचित निर्देश पारित करेगा।
पीडित परिवार जनों से मिले शंकराचार्य उनके घर की स्थिति देख भावुक हुए
शंकराचार्य सुनील, मनोहर बाग, सिंगधार, गांधीनगर, रविग्राम समेत अनेक पीडित परिवारों से मिले, उन्होंने जेपी परिसर के पास बह रहे जल का सेम्पल लिया। इस अवसर पर मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी, भुवनचन्द्र उनियाल, रामदयाल मैदुली, कुशलानन्द बहुगुणा, शिवानन्द उनियाल आदि मौजूद थे।