गोपेश्वर (चमोली)। वनों को दावनल से बचाने के लिए चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र चमोली की ओर से चार दिवसीय जनजागरण एवं अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया। जिसका समापन मंगलवार को नंदानगर विकास खंड के राजबगठी गांव में हुआ। जन-जागरण यात्रा में यात्रा दल की ओर से ग्रामीणों से प्रत्यक्ष संवाद कर वनाग्नि के कारणों तथा स्थानीय स्तर पर इसके न्यूनीकरण के फौरी तथा दीर्घकालिक उपायों पर बैठकों के माध्यम से विचार-विमर्श की श्रंखला चलायी गई। इस दौरान वन संवर्धन और संरक्षण पर भी ग्रामस्तर पर किए जा रहे कार्यो पर भी चर्चा हुई।
ग्रामीणों से प्रत्यक्ष संवाद में दशोली विकास खण्ड की ठेली गांव की महिला मंगल दल की अध्यक्षा जमुना देवी ने बताया कि उनका गांव चारों ओर से चीड़ के वनों से घिरा है। इन इलाकों में जहां लगभग हर साल आसपास के इलाकों से आग आती है और उनके जंगल को भी चपेट में ले लेती है। ग्रामीण हर साल इसके लिए पहले से ही तैयार रहते हैं। हर साल अपने संसाधनों से जंगल जलने नहीं देते हैं।
इस दौरान दवानल से झुलसने और जलने के खतरे पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार की ओर समय-समय पर इसके लिए ग्राम स्तरीय संगठनों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। छोटे-मोटे जरूरी उपकरण इन संगठनों को मुहैया कराये जाने चाहिए। समाजसेवी और पूर्व प्रधान माहेश्वरी देवी ने वनाग्नि की रोकथाम से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि उनके गांव की महिलाएं अपने जंगलों के प्रति इतनी सजग हैं की आज से दो वर्ष पूर्व गांव में जब शादी हो रही थी मंगल-स्नान की तैयारी चल रही थी इसी बीच महिलाओं ने जंगल मे धुंआ देखा। सभी महिलाएं शादी में मंगल स्नान की रश्म वहीं पर छोड़ी और सीधे जंगल में आग बुझाने चली गई। सरतोली के सरपंच बिष्ट ने बताया कि नामजद शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पाने से रोकथाम के प्रयास सफल नहीं हो पाते। धारकोट की सरपंच मनीषा देवी ने जंगल में बढ़ती गाजर घास तथा लेंटाना की झाड़ियों को वनाग्नि का बड़ा कारण बताया।
बैरासकुण्ड में आयोजित गोष्ठी में महिला मंगल दल अध्यक्षा सुशील देवी ने बताया की उनके गांव में महिलाओं ने पांच हेक्टेअर में बांज का जंगल संरक्षित किया गया है। जिसकी सुरक्षा के लिए महिला मंगल दल की ओर से चैकीदारी की जाती हैं। जन जागरण एवं अध्यन यात्रा में शामिल ओम प्रकाश भट्ट ने प्रथम चरण की इस यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीणों से प्रत्यक्ष संवाद के दौरान स्थानीय स्तर पर इसके लगने के कारणों के साथ ही इसके निराकरण के फौरी एवं दीर्घकालिक उपायों पर गोष्ठियों के माध्यम से चर्चा परिचर्चा की गयी। जिसमें स्थानीय कारको की बाहुल्यता तथा विभागों और ग्रामीणों के मध्य परस्पर संवाद की कमी पायी गयी। ग्रामीणों को ग्राम स्तर पर गठित वनाग्नि रोधी तथा आपदा प्रबंधन समितियां भी धरातल पर नजर नही आई जो कि किसी भी आपदा में स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण कढी है। यदि हमें वनागनि से निपटना है तो ऐसे में जरूरी है कि समय पूर्व ही प्रशिक्षण के साथ ही उन्हे आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराये जाने के साथ ही वन विभाग के साथ ही अन्य विभागों का मजबूत संमन्वय तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। इस जन जागरण एवं यात्रा में वन विभाग के साथ ही हेरिटेज ऑफ गढ़वाल हिमालय के प्रदीप फरस्वाण, विकास केंद्र के संमन्वयक विनय सेमवाल आदि मौजूद थे।